मानवीय दृष्टिकोण, भावनात्मक सहयोग उपचार को करता है आसान : उप मुख्यमंत्री शुक्ल

भोपाल

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि कैंसर की सही समय में जाँच पर पूर्ण निदान सहजता से संभव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गौरवशाली नेतृत्व में आज आर्थिक संसाधनों की कमी नहीं है। चिकित्सकीय संस्थानों का उन्नयन किया जा रहा है। अधोसंरचना विकास के साथ अत्याधुनिक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में संसाधनों के साथ चिकित्सकीय मैनपॉवर का मानवीय रवैया, भावनात्मक सहयोग उपचार को आसान करता है। मरीजों और परिजनों में संतोष का भाव जागृत करता है। चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सभी अधिकारियों कार्मिकों में मानवीय संवेदनाओं की समझ और उसका प्रकटीकरण अत्यंत आवश्यक है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने विश्व कैंसर दिवस पर एम्स भोपाल में आयोजित 2 दिवसीय पेलियेटिव केयर प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित किया।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि कैंसर का निदान सहज और सुलभ बनाने के लिये केंद्रीय बजट में हर ज़िले में कैंसर केयर सेंटर बनाने का ऐतिहासिक प्रावधान किया गया है। साथ ही कैंसर दवाओं को किफायती दरों में उपलब्ध कराने के प्रावधान किये गये हैं। आयुष्मान भारत योजना से हर नागरिक आज उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवाएं सहजता से प्राप्त कर पा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन में स्वस्थ भारत महत्वपूर्ण आयाम है। इसके लिये केन्द्र और राज्य सरकार पूर्ण समर्पण से प्रयास कर रही हैं। इसे साकार करने हेल्थ मैन-पॉवर की महत्वपूर्ण भूमिका है।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि चिकित्सक का दायित्व केवल उपचार करने तक सीमित नहीं है। उपचार के साथ और उपचार के बाद मरीज़ को जो मानसिक और भावनात्मक सहयोग चिकित्सक या अस्पताल स्टॉफ से मिल सकता है, वो उसकी रिकवरी को और तेज़ करने में सहायक होता है। उन्होंने उपस्थित चिकित्सकों और नर्सिंग ऑफिसर से प्रशिक्षण का पूर्ण लाभ उठाने का आह्वान किया।

असंचारी रोगों के बेहतर प्रबंधन के लिए "टेस्ट और ट्रीट" अवधारणा पर किया जा रहा है कार्य

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र में उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों में संभागीय मुख्यालयों में लाइनैक मशीन, पेट स्कैन, ब्रेकी थेरेपी एयर कैथ लैब जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि हृदय रोग, कैंसर जैसे असंचारी रोगों का समुचित निदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि इन रोगों के बेहतर प्रबंधन के लिए “टेस्ट और ट्रीट” अवधारणा पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों से आह्वान किया कि पूरे समर्पण से मिशन मोड में सेवा भाव से कार्य करें। संसाधनों के साथ समर्पित प्रयास से मध्यप्रदेश शीघ्र ही स्वास्थ्य मानकों में अग्रणी राज्य बनेगा।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने विगत दिवस जबलपुर, भोपाल और इंदौर में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अंग रिट्रीवल एवं प्रत्यारोपण कर बहुमूल्य जीवन के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चिकित्सकीय और सहायक चिकित्सकीय स्टॉफ की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा ऐसे समर्पित प्रयासों से चिकित्सकीय कार्मिको का मान बढ़ता है और समाज में अपने प्रतिष्ठित स्थान के साथ वे न्याय करते हैं। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने प्रशिक्षण प्रदान करने वाले मास्टर ट्रेनर और रिसोर्स पर्सन को सम्मानित किया।

अध्यक्ष एम्स प्रो. डॉ. सुनील मलिक ने पेलियेटिव केयर के विभिन्न आयामों और महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने असंचारी रोगों के बढ़ते दबाव और प्रबंधन के लिए किये जा रहे प्रयासों की संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और एम्स के संयुक्त तत्वाधान में किया गया है। एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक, प्रोफेसर्स और विषय विशेषज्ञों ने पेलियेटिव केयर की जिम्मेदारियों और दायित्वों की चिकित्सकों और नर्सिंग ऑफिसर को विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

क्या है पेलियेटिव केयर..

पेलियेटिव केयर गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए विशेष चिकित्सा देखभाल है। पेलियेटिव केयर का उद्देश्य मरीज़ में दर्द या अन्य कोई शारीरिक, मानसिक या सामाजिक समस्याओं की पहचान और सही मूल्यांकन कर उसकी पीड़ा को कम करने में मदद करना है। इसके लिए ऐसे मरीज़ों के परिजनों को भी परामर्श और तकनीकी कौशल को बढ़ाने की ज़रूरत है ताकि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद घर पर उसकी बेहतर देखभाल हो सके। साथ ही साथ अस्पताल में बार-बार भर्ती होने की संभावनाओं को न्यूनतम किया जा सके।

पेलियेटिव केयर कार्यक्रम में कैंसर विभाग, रेडियोथैरेपी, एनेस्थिशिया, मेडिसिन एवं सायकेट्री विभाग की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही फंटलाईन डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ को भी इसकी समझ ज़रूरी है, क्योंकि इन्हीं लोगों के पास सबसे पहले कोई मरीज़ अपनी तकलीफ को लेकर पहुंचता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में 5 करोड़ 68 लाख लोगों को पेलिएटिव केयर की आवश्यकता है। इनमें से लगभग 2 करोड़ 57 लाख लोग जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं। वैश्विक स्तर पर 14 प्रतिशत लोगों को ही पेलिएटिव केयर उपलब्ध है।

 

India Edge News Desk

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